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आईना

सुख-दुख, ख़ुशी-वेदना, प्रिय- अप्रिय, अनुभव और अनुभूतियों को समेट कर चलना ही जीवन है। सर्वविदित है कि ज़िन्दगी के सन्दर्भ में कोई निश्चित राय क़ायम करना मुमकिन नहीं है। जज़्बात,अनुभव और अनुभूति जीवन की ख़ूबसूरत हक़ीक़त हैं। इन तमाम संदर्भों को शब्दों के माध्यम से समाज के समक्ष पेश करने की कोशिश है काव्य संग्रह है आईना
 
 ‘आईना’ के झरोखे से सामाजिक उथल-पुथल से व्यथित, निर्धन, मजबूर या मज़लूम व्यक्ति की पीढ़ा एवं संवेदनाओं का बयान करने का विनम्र प्रयास किया है।
विभिन्न विषमतायें,रिश्तों में क्षरण, राजनैतिक  उतार-चढ़ाव, अशिक्षा, जीवन के विभिन्न रंग-ढंग और सुख-दुख के संदर्भ में हासिल खट्टे-मीठे अनुभव और अनुभूतियों की श्रंखला के तहत हालात, बेचैनी और बेबसी के बिखरे कांच के टुकड़ों को जोड़कर काव्य साहित्य के शौकीन श्रोताओं के समक्ष एक दर्पण पेश करने की कोशिश है– काव्य संग्रहआईना ।

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ग़ज़ब करिश्मा है प्यार, किसी को इक नज़र में हासिल
और  किसी को  उम्र भर की, दुआओं के  बाद भी नहीं

-स्वदेश

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